कितनी किताबें छपी है?
..एक भी नहीं..
गजलों और नज्मों से तो कागज भर दिए होंगे!
..वो क्या होता है?
अरे,तो लोग तुम्हें शाइर क्यूं बोलते है?
अच्छा वो!..नहीं, मैं रद्दी का काम करता हूँ,कुछ किताबें मिली थी रद्दी में सुदर्शन फ़ाकिर, होश तिमर्जी, कृष्णबिहारी नूर नाम था उन लोगों का उनके डायलाग मुझे अच्छे लगे। मैंने पढ़ लिए..पता नहीं क्यूँ लोग तालियां बजाते है।
उन्हें डायलाग नहीं शेर कहते है
हैं! शेर तो जंगल में होता है..
उफ़्फ़फ़! बताओं यहाँ कुआँ कहां है
क्यूँ?
…मुझे जान देनी है
मेरी दुकान के पीछे की तरफ़ था मगर अब सूख गया है
अब मैंने वहां वो किताबें डाल दी है जो नहीं बिकती..
मीर तकी मीर,जॉन एलिया,मोमिन खाँ मोमिन कितना कचरा करते थे..
सुनो! मुझे वही डूब के मरना है
अरे! लेकिन मैम साब अपना नाम तो बताती जाओ।
…परवीन शाकिर
वाह! लडको वाला नाम….
आप भी गजब हो।
चलो जाओ! तब तक मैं अपने फैन्स के लिए अहमद फ़ज़ार का कोई डॉयलोग टिकटोक पे डालता हूँ..
या अल्लाह! फ़ज़ार नहीं फराज…
(और किताबों वाले कुँए में एक शायरा गिर गई, सारे पत्तो ने फड़फड़ा के उसे गोद में ले लिया,ऊपर खड़े लोग इंस्टाग्राम पे लाइव थे..तभी कोई बोला “ओए!तेरे वीडियो पे कितने कमेंट आये रे।”
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