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‘शहजादे’

बस तू ही फनकार नहीं है शहजादे
कोई तेरा यार नहीं है शहजादे

होंठ भले ही तुझको अपना कहते हैं
लेकिन मन तैयार नहीं है शहजादे

खाली कमरा कब तक जी बहलाएगा
तन्हाई तो प्यार नहीं है शहजादे

सब कहते हैं अच्छा होगा पर ये भी
तुक्का है आसार नहीं है शहजादे

इससे लाड़ लड़ाके लड़ना पड़ता है
दिल दिल है तलवार नहीं है शहजादे

एक यही सच्चाई है दीवानों की
आँखे दुनियादार नहीं है शहजादे

इक दिन सबको मरना अच्छा लगता है
तेरा पहली बार नहीं है शहजादे

तेरी उल्फत रब का अव्वल तमगा है
हर कोई हकदार नहीं है शहजादे

तुझमे मुझको अपनी सूरत दिखती है
बाकी कोई रार नहीं है शहजादे

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