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“ठक से!”

वो ठक से रुक गई…
मेरा जवाब सुनकर..
जब उसने पूछा तुम अकेले में
किनारों पे बैठ कर क्या करते हो…
और मैं बोला”संगीत सीखता हूँ”
वाह!
तब तो तुम आसमां से रंग भरना,
झरनों से नृत्य करना..
पहाड़ो से मूर्तियाँ गढ़ना,
जंगलों से कविता करना सीख सकते हो..
जीना सीखना हो तो कहां जाते हो?
मैं फुसफुसाया..
तुम्हारे होंठो से मुस्कुराना सीख रहा हूँ
और आंखों से झूठ बोलना
ज़िंदगी इसके अलावा कुछ और भी है क्या?

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