दराजे खोल कर देखो कभी तो तुम्हारे सामने रखा हुआ हूँ
मैं वो पत्ता हूँ तेरी डायरी का,फटा कम हूँ मगर बिखरा
हुआ हूँ
कभी पढ़ते नहीं हो क्यूँ मुझे तुम
तुम्हे प्यारा बहुत प्यारा था मैं तो
मुझे चूमा था तुमने उंगलियों से
तुम्हारी भोर का तारा था मैं तो
हृदय की स्याहियों से लिख रखा है
पुरानी जीन्स में लटका हुआ हूँ
तुम्हे किस बात का है डर, बताओ
लिखों मुझपे,पढ़ो मुझको,सुनाओ
यहाँ हर चीज मैली हो रखी है
खुद ही के दाग खुद से मत छुपाओ
कभी थक के मैं खुद ही रो पड़ूँगा
तुम्हारा सोच के अटका हुआ हूँ
किसी सिगरेट किसी बोतल की रंगत
मेरे धब्बों को कब उजला करेगी
भरोगे नींद में जब सिसकियां तुम
तेरे तकिये को ये गीला करेगी
गमो की धुन में खुशियों का तलफ़्फ़ुज़
तुम्हारा मूड हूँ बिगड़ा हुआ हूँ
यूँ जब इंसां से तुम अर्थी बनोगे
तुम्हारा जिक्र जब यादों में होगा
तुम्हारे वास्ते तर्पण भी होंगे
तुम्हारे वास्ते अर्पण भी होगा
मैं तब स्टीकर हूँ दुनियादारियों का
तुम्हारे नाम से चिपका हुआ हूँ