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“Random-thoughts”

1.

पत्थरों! चलो,
तुम्हें लेने को आया हूँ
डरो मत,तुम्हे मंदिर में नहीं
घर की नींव में जगह दूँगा
तुम मेरी उम्मीद हो
और मैं तुम्हारा आसरा
वफादारी रखोगे तो
तुम्हें हर चीज में जगह दूँगा
पत्थरो!चलो,
तुम्हें लेने को आया हूँ

2.

पगली तुझको प्रीत पुकारे, सावन का संगीत पुकारे
वो शिव की पूजा का फल है तेरी हर उलझन का हल है
तुझको मन का मीत पुकारे

झूठा-सच्चा कब जानेगी,अपने मन की कब मानेगी
क्यूँ खुद से ही हार रही है,तुझको जग की जीत पुकारे
पगली तुझको प्रीत पुकारे

 

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“मसीहा”

इश्क में मुझको खुदा करने वाले
जिस दिन भी मैं खुदा हो जाऊँगा
तुम्हारी जुबाँ में बेवफा हो जाऊंगा
खुदा किसी एक का नहीं होता
खुदा यूँ तो सबका होता है मगर
वक्त पड़ने पे किसी का नहीं होता
न जज्बात न यादो की कदर होती है
उसकी तो फकत नीयत पे नजर होती है
तेरे हँसने पे न कभी उसको नशा होगा
तेरे रोने पे न आएगा वो कंधा लेकर
वो खुदा है बहुत काम है उसको पगली
किसी को ख़त्म करना है
किसी में जान भरनी है
सबको दिन दिखाना है
और फिर रात करनी है
तेरे पहलु की खातिर वो सितारे भी नहीं देगा
तेरी आँखों की खातिर वो नज़ारे भी नहीं देगा
ले मेरी बात मान तू मुझको बस इंसान रहने दे
कभी चूमे कभी लिपटे कभी झगडे कभी रोये
खुदाओं के नसीबो में कहाँ ये बात होती है
के कोई राह तकता है मोहब्बत साथ होती है
हम इंसान है हमको हज़ारो गलतियां है माफ़
खुदा होते ही बंदिश है की दामन को रखो साफ़
खुदा होते है जो फिर वो कभी बूढ़े नहीं होते
जब बूढ़े ही नहीं होते तो मोहब्बत भी भटकती है
हम इंसान है तो इश्क का अंजाम देखेंगे
जवाँ सूरज को देखा है तो बुढ़िया शाम देखेंगे
खुदाओं के लिए पूजा-अजाने कौन बोलेगा
रातो की थकन होगी के मंदिर कौन खोलेगा
सुन पगली ये बाते छोड़, इश्क आसान रहने दे
मसीहा मत बना मुझको फकत इंसान रहने द