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“Suicide-Story”

पहले तो बस आँख मिली थी
आँख मिली और बात बढ़ी
बात बढ़ी और इश्क हुआ
इश्क हुआ फिर रात हुई
रात हुई दो जिस्म मिले
जिस्म मिले एक जान हुए
वो जान हुए पहचान गए
पहचान गए के सच क्या है
सच ये है दोनों झूठे थे
झूठे जो खुद से गाफिल थे
गाफिल ऐसे जो बहक गए
बहके ऐसे के फिसले थे
फिसले थे तन की घाटी से
घाटी से दरिया में डूबे
डूबे तो ये मालूम हुआ
मालूम हुआ वो इश्क नहीं
वो इश्क नहीं वो लालच थी
लालच थी के कुछ छूना था
जो छुना था वो माटी थी
माटी में भी एक मंदिर था
मंदिर छूते तो अच्छा था
फिर अच्छाई का भरम गया
जब भरम गया तो जान गए
जान गए के गलत हुआ
और फिर गलती से “जान” गयी

8 thoughts on ““Suicide-Story”

    1. वाह, शुक्रिया चंद्रिमा।आपकी बात भी ऐसी है जिसे बार-बार पढ़ने का मन करे।😊😊

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